वतन हमारा ऐसा कोई न छोड़ पाये
रिश्ता हमारा ऐसा कोई न तोड़ पाये
दिल एक है एक है जान हमारी
हिंदुस्तान हमारा है हम इसकी शान है
गणत्रंता दिवस की हार्दिक सुभ कामनाये.
आजादी का जोश कभी काम न होने देंगे
जब भी जरुरत पड़ेगी देश के लिए जान लूटा देंगे
क्योंकि भारत हमारा देश है
अब दोबारा इस पर कोई आंच न आने देंगे
जय हिन्द
गणत्रंता दिवस की हार्दिक सुभ कामनाये.
आज सलाम है उन वीरो को
जिनके कारन ये दिन आता है
वो माँ खुशनसीब होती है
बलिदान जिनके बच्चो का देश के काम आता है
गणत्रंता दिवस की हार्दिक सुभ कामनाये.
अलग है भाषा धर्म जाट
और प्रान्त , भेष , परिवेश
पर हम सब का एक है गौरव
राष्ट्रध्वज तिरंगा श्रेष्ठा
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं .
देश बह्क्तों के बलिदान से ,
स्वतनत्र हुए है हम ..
कोई पूछे कौन हो ,
तो गर्व से कहेंगे .
भारतीय है हम …
हैप्पी गणतंत्र दिवस
वो फिर आया है नये सवेरे के साथ,
मिल ज़ुल कर रहेंगे हम एक दूजे के साथ,
वो तिरंगा कितना प्यारा है,
वो है देखो सबसे प्यारा न्यारा,
आने ना देंगे उस पे आंच,
गणत्रंता दिवस की हार्दिक सुभ कामनाये.
अलग है भाषा, धर्म जात,
और प्रांत, भेष, परिवेश,
पर हम सब का एक ही गौरव है,
राष्ट्रध्वज तिरंगा श्रेठ
गणत्रंता दिवस की हार्दिक सुभ कामनाये.
ज़माने भर में मिलते है आशिक़ कई,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
नोटों में लिपट कर, सोने में सिमट कर मरे है कई,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता.
गणत्रंता दिवस की हार्दिक सुभ कामनाये.
देश भक्तो की बलिदान से,
स्वतंत्रा हुए है हम,
कोई पूछे कोन हो,
तो गर्व से कहेंगे,
भारतीय है हम,
Happy Gantantra Diwas.
मैं इसका हनुमान हु,
ये देश मेरा राम है,
छाती चिर के देख लो,
अंदर बैठा हिंदुस्तान है,
जय हिन्द
Happy Republic Day 2023
Happy Republic Day Shayari 2023
देश के नाम शायरों के अल्फ़ाज़
वतन की सर-ज़मीं से इश्क़ ओ उल्फ़त हम भी रखते हैं
खटकती जो रहे दिल में वो हसरत हम भी रखते हैं
~जोश मलसियानी
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भलाई ये कि आज़ादी से उल्फ़त तुम भी रखते हो
बुराई ये कि आज़ादी से उल्फ़त हम भी रखते हैं
~जोश मलसियानी
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सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
~बिस्मिल अज़ीमाबादी
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मेरे जज़्बातों से इस कदर वाकिफ है मेरी कलम
मैं इश्क़ भी लिखना चाहूँ तो भी, इंकलाब लिख जाता है
~भगत सिंह
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वतन की ख़ाक ज़रा एड़ियाँ रगड़ने दे
मुझे यक़ीन है पानी यहीं से निकलेगा
~अज्ञात
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ऐ शांति अहिंसा की उड़ती हुई परी
आ तू भी आ कि आ गई छब्बीस जनवरी
~नजीर बनारसी
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हैं इस हवा में क्या क्या बरसात की बहारें
सब्ज़ों की लहलहाहट बाग़ात की बहारें
~नज़ीर अकबराबादी
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हम शहीदों को कभी मुर्दा नहीं कहते 'अनीस'
रिज़्क़ जन्नत में मिले शान यहाँ पर बाक़ी
~अनीस अंसारी
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जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली
~कवि प्रदीप
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अजल से वे डरें जीने को जो अच्छा समझते हैं।
मियाँ! हम चार दिन की जिन्दगी को क्या समझते हैं?
~रामप्रसाद बिस्मिल
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Happy Republic Day 2023
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